Wednesday, September 19, 2012

''गाइए गणपति जगवंदन।
शंकर सुवन भवानी नंदन॥
सिद्धि-सदन, गज-बदन विनायक।
कृपा-सिंधु, सुंदर, सब लायक॥
मोदक प्रिय, मृदु मंगलदाता।
विद्या वारिधि बुद्धि विधाता॥
मांगत तुलसीदास कर जोरे।
बसहिं रामसिय मानस मोरे॥