Saturday, October 1, 2016

धन्य धन्य भारत की सेना,धन्य आज सरकार हुयी,
बलिदानी आँगन की तुलसी की इच्छा साकार हुयी,
हाँ,शहीद की बेवाओं के ज़ख्म बड़े ही गहरे थे,
लगता था माँ की चीखों पर दिल्ली वाले बहरे थे,
...
लेकिन भारत माँ ने सोया शौर्य जगाया गोदी में,
हिम्मत का सागर भर डाला अपने बेटे मोदी में,
बेटा बोला,बहुत हो गया,मौन नही अब धारेंगे,
तूने छिप कर मारा तुझको घर में घुस कर मारेंगे,
फेंक दिए गुलदस्ते अब की लेकर तीर कमान गए,
बलिदानों का बदला लेने सीमा पार जवान गए,
जहाँ मिला,जिस हाल मिला,आतंकी अड्डा फूंक दिया,
जितने थे दहशत के आका,सबके मुँह पर थूंक दिया,
छोटी सी बेटी शहीद की आज बहुत मुस्काई है,
अम्मा के सीने में सच में शीतलता भर आई है,
देख पाक तू,भारतवासी नही हारने वाले हैं
अट्ठारह के बदले में अड़तीस मारने वाले है,
काली रात अमावस जैसी,चमकी थी चिंगारी से,
चुन चुन कर आतंकी मारे हमने बारी बारी से,
कब तक और भला कितनी घुसपैठ करोगे मक्कारों,
ऐसे ही पागल कुत्ते की मौत मरोगे मक्कारों,
अब जिन्ना की जहरखुरानी नही चलेगी भारत में,
किसी तरह भी दाल तुम्हारी नही गलेगी भारत में,
हम "शोले"के संवादों में बात करेंगे सुन लेना,
तुम मारोगे एक तुम्हारे चार मरेंगे सुन लेना
जितनी भूल हुईं परदे पर,उन्हें सुधारा जाएगा,
"जय"की बिना शहादत के ये गब्बर मारा जाएगा,
रंग बसन्ती भारत माँ की आँखों में फिर छाया है,
लगता है दिल्ली में फिर से शेर धुरंधर आया है,
मोदी तुमने लाज बचा ली,कितने ही बलिदानों की,
देश बधाई देता तुमको,तुम ताकत अरमानों की,
कवि गौरव चौहान कहे,अब धरना धरने वालों से,
ठाठ वाट में रोज खाट पर चर्चा करने वालों से,
अंगारों को ठंडा करदे उसे पसीना कहते हैं,
इसको ही तो प्यारे छप्पन इंची सीना कहते हैं,

Sunday, May 8, 2016

मां मरूथल में नदी या मीठा सा झरना है।
मां रोते हुए बच्चों का खुशनुमा पलना है,
  मां, मां लोरी है, है, प्यारी सी थाप है,
मां, मां पूजा की थाली है, मंत्रों का जाप है।
  मां आंखों का सिसकता हुआ किनारा है,
 मां गालों पर पप्पी है, ममता की धारा है।
  मां झुलसते दिलों में कोयल की बोली है,
 मां मेहंदी है, कुमकुम है, सिंदूर है, रोली है। 
, मां कलम है, दवात है, स्याही है,
 मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है।
  मां, मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है,
 मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है।
 मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,
 मां जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है।
  मां चूड़ी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,
 मां काशी है, काबा है और चारों धाम है।
  मां चिंता है, याद है, हिचकी है,
 मां बच्चों की चोट पर सिसकी है।
  मां चुल्हा-धुंआ-रोटी और हाथों का छाला है,
 मां जंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।
  मां पृथ्वी है, जगत है, धूरी है,
मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।
  तो मां की ये कथा अनादि है
ये अध्याय नहीं है...
....और मां का जीवन में कोई पर्याय नहीं है।
 मां का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता,
और मां जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता।
और माँ जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता,

Tuesday, January 5, 2016

        Salute to Indian Martyrs and great Soldiers ............
ऐ मेरे वतन् के लोगोंज़रा आँख् में भर् लो पानी
जो शहीद् हु हैं उनकीज़रा याद् करो क़ुरबानी
जय् हिन्द्॥। जय् हिन्द् की सेना ......जय् हिन्द्॥। जय् हिन्द् की सेना.
 अपने उन वीर शहीदों की अंतिम ये एक निशानी है ,
 आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण में लिखी कहानी है .