मेरी धरती मेरा गौरव मैं धरती की शान हूँ ,
जाग जाग सीमा के प्रहरी में धरती की शान हूँ ।
मै राणा की तेज सजीली चमकीली तलवार हूँ ,
मै लक्ष्मी बाई हूँ शिवा के उस खांडे की धार हूँ ,
दुश्मन के घर आग लगा दे मै विरोध का गान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ....................................
मै छोटा सा फूल मगर रण का भीषण अंगार हूँ ,
वक़्त पड़े तो धरती पर अपना तन मन धन वार दू,
मैहू राष्ट्र के धव्ज की रक्षक मै इस का अभीमान हूँ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी मै ............................. .......
मैने गाँधी नेहरू की वो एक एक बात संजोई है ,
अपने वतन के दीवानों की मिल के मॉल पिरोई है ,
मै भी उस पथ की राहीहूँ मै भी उस कुल की शान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ................................................
मै हाड़ीसम देश दीवानी तन जिसका अंतिम सह्नानी है ,
हम सब की रगों मै खून वही जो अपने देश का पानी है ,
अपने कुल की मर्यादाओ से क्या अब भी अंजान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी .................................................