Sunday, December 31, 2017
Monday, December 4, 2017
👌🏽
👌🏽Bahut hi sundar kavita
👌🏽
👌🏽
- *कंद-मूल खाने वालों से*
मांसाहारी डरते थे।। - ...
- *पोरस जैसे शूर-वीर को*
नमन 'सिकंदर' करते थे॥ - *चौदह वर्षों तक खूंखारी*
वन में जिसका धाम था।। - *मन-मन्दिर में बसने वाला*
शाकाहारी *राम* था।। - *चाहते तो खा सकते थे वो*
मांस पशु के ढेरो में।। - लेकिन उनको प्यार मिला
' *शबरी' के जूठे बेरो में*॥ - *चक्र सुदर्शन धारी थे*
*गोवर्धन पर भारी थे*॥ - *मुरली से वश करने वाले*
*गिरधर' शाकाहारी थे*॥ - *पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम*
चोटी पर फहराया था।। - *निर्धन की कुटिया में जाकर*
जिसने मान बढाया था॥ - *सपने जिसने देखे थे*
मानवता के विस्तार के।। - *नानक जैसे महा-संत थे*
वाचक शाकाहार के॥ - *उठो जरा तुम पढ़ कर देखो*
गौरवमय इतिहास को।। - *आदम से आदी तक फैले*
इस नीले आकाश को॥ - *दया की आँखे खोल देख लो*
पशु के करुण क्रंदन को।। - *इंसानों का जिस्म बना है*
शाकाहारी भोजन को॥ - *अंग लाश के खा जाए*
क्या फ़िर भी वो इंसान है? - *पेट तुम्हारा मुर्दाघर है*
या कोई कब्रिस्तान है? - *आँखे कितना रोती हैं जब*
उंगली अपनी जलती है - *सोचो उस तड़पन की हद*
जब जिस्म पे आरी चलती है॥ - *बेबसता तुम पशु की देखो*
बचने के आसार नही।। - *जीते जी तन काटा जाए*,
उस पीडा का पार नही॥ - *खाने से पहले बिरयानी*,
चीख जीव की सुन लेते।। - *करुणा के वश होकर तुम भी*
गिरी गिरनार को चुन लेते॥ - *शाकाहारी बनो*...!
- ज्ञात हो इस कविता का जब TV पर प्रसारण हुआ था तब हज़ारो लोगो ने मांसाहार त्याग कर *शाकाहार* का आजीवन व्रत लिया था।
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