Tuesday, September 21, 2010

अपने वतन की बेटी

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मै अपने वतन की बेटी हू,भारत की राज दुलारी हूँ ,
माना की घरमें अबला हूँ पर रण की मै चिंगारी हूँ .

भाई बन कर कोई आये तो उसको मै शीश झुका ती हूँ ,
दुश्मन बन आंख दिखाए तो पल भर मै मोल चुकती हूँ .
दुर्गा बन कर इस धरती पर मैने तलवार उठाई है ,
मीणा बाज़ार के महलों में अकबर की आंख झुकाई है .
में लक्ष्मी हू इस मट्टी की राणा की तेज दुधारी हूँ .
माना के घर में अबला हूँ ................................

मेरी नस नस में गौरव है अभिमान है मेरे सीने में ,
संकट के दिन में घर बैठू धिक्कार है ऐसे जीने में .
सीमा के प्रहरी सावधान अपना मत शीश झुका देना ,
गर वक़्त पड़े तो भारत की मिट्टी का मोल चुका देना .
तुम भाई हो मेरे प्यारे मै बहिन तुम्हारी प्यारी हूँ .
माना की घर में अबला हूँ ...............................

2 comments:

  1. Many times i wrote and taught songs to my school children of IIS Riyadh .

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  2. दुर्गा बन कर इस धरती पर मने तलवार उठाई है ,
    मीणा बाज़ार के महलों में अकबर की आंख झुकाई है .
    में लक्ष्मी हू इस मट्टी की राणा की तेज दुधारी हूँ .



    बहुत जोश भरी रचना ।

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