Wednesday, August 21, 2013

morning mantras

वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥१॥

अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥२॥
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कराग्रे वसते लक्ष्मिः करमध्ये सरस्वति ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ॥
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शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहेसुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
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ॐ असतो मा सद्गमय ।तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते
पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तुमा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत् ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
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ॐ   भूर्   भुवः   स्वः   ।   तत्सवितुर्   वरेण्यं   ।
भर्गो   देवस्य   धीमहि   ।   धियो   यो   नः   प्रचोदयात्.

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