दीपावली की शुभ कामनाएं
Thursday, November 4, 2010
Sunday, October 24, 2010
Wednesday, October 6, 2010
खरगोश
खरगोश
कितना प्यारा बरफ सा ,
रुई जैसा कोमल गोल ,
मटोल अनमोल .
लाल लाल कंचे जैसी
आँखे जो व्यक्त करती हैं ,
इस मूक प्राणी की
अनकही हजारों बातें ,
नर्म नाजुक दिल जो भय
से धड़कता है सुपरसोनिक की गति से .
***************************************************
घास :--
कितनी अच्छी लगती ,
सारे दुःख चुप सहती,
मन को ठंडक देती,
आँखों को तृप्ति .
बहुत जरासी साँसों,
से लम्बा जीवन जीती,
कितनी सह्रदय सहन शीला जो
घाव ह्रदय पे सहती ,
पर कभी किसी से कुछ ना कहती
पर रात्रि में अपनी मौन वेदना
चुपके से व्यक्त करती .
जो भोर के उजाले में ,
ओस के कणों में मिलती
**********************************
1984 में लिखित
कितना प्यारा बरफ सा ,
रुई जैसा कोमल गोल ,
मटोल अनमोल .
लाल लाल कंचे जैसी
आँखे जो व्यक्त करती हैं ,
इस मूक प्राणी की
अनकही हजारों बातें ,
नर्म नाजुक दिल जो भय
से धड़कता है सुपरसोनिक की गति से .
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घास :--
कितनी अच्छी लगती ,
सारे दुःख चुप सहती,
मन को ठंडक देती,
आँखों को तृप्ति .
बहुत जरासी साँसों,
से लम्बा जीवन जीती,
कितनी सह्रदय सहन शीला जो
घाव ह्रदय पे सहती ,
पर कभी किसी से कुछ ना कहती
पर रात्रि में अपनी मौन वेदना
चुपके से व्यक्त करती .
जो भोर के उजाले में ,
ओस के कणों में मिलती
**********************************
1984 में लिखित
Saturday, October 2, 2010
ये बड़ा सा स्कूल जिसमे नन्हे नन्हे,
ये बड़ा सा स्कूल जिसमे नन्हे नन्हे,
प्यारे प्यारे छोटे छोटे फूल,
कोई फूल पीला है कोई फूल नीला है कोई चमकीला है ,
है लाल सभी सब के सपने ,चह- चहाते ,मचलते ,
गुनगुनाते ,हँसते रोते खिलखिलाते ,इठलाते
जैसे किसी उपवन में पंछी है गाते,
ची ची पी पी टी टी की करतल धुन,
बगिया के माली करो अथक श्रम [शिक्षक ]
हर फूल को सींचो अपने ज्ञान के प्रकाश से ,
जो चमक उठे संवर उठे हर फूल ,
बनाये एक उपवन कल ये बगिया के फूल.
महकाये अपनी खुशबू से सबका ,
तन मन धन ,हर एक बने सम्पूर्ण ज्योति का पुंज .
.
प्यारे प्यारे छोटे छोटे फूल,
कोई फूल पीला है कोई फूल नीला है कोई चमकीला है ,
है लाल सभी सब के सपने ,चह- चहाते ,मचलते ,
गुनगुनाते ,हँसते रोते खिलखिलाते ,इठलाते
जैसे किसी उपवन में पंछी है गाते,
ची ची पी पी टी टी की करतल धुन,
बगिया के माली करो अथक श्रम [शिक्षक ]
हर फूल को सींचो अपने ज्ञान के प्रकाश से ,
जो चमक उठे संवर उठे हर फूल ,
बनाये एक उपवन कल ये बगिया के फूल.
महकाये अपनी खुशबू से सबका ,
तन मन धन ,हर एक बने सम्पूर्ण ज्योति का पुंज .
ये 25 वर्ष पूर्व की रचना है .
जब विचारो ने कविता का रूप लेना शुरू किया ...................
Sunday, September 26, 2010
अपने उन वीर शहीदों की अंतिम ये एक निशानी है
अपने उन वीर शहीदों की अंतिम ये एक निशानी है ,
आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण में लिखी कहानी है .
हर कौम हमारी अपनी है कोइ भी हम से गैर नही
हर मानव अपना साथी है कोई भी हम से गैर नहीं .
लाखों इंसानों के मुख से निकालेगी आवाज यही ,
जो हम पर आँख उठाये गा उस दुश्मन की अब खैर नहीं,
कशमीर हमारे भारत के हाँथो से छूट नहीं सकता ,
संबन्ध हमारे प्राणों का नातों से टूट नहीं सकता .
भारत का बच्चा-बच्चा अब ललकार के तुमको कहता है ,
कोई भी शत्रु अब केसर की घाटी को लूट नहीं सकता .
रग़ रग़ में खून शहीदों का नस नस में भरी जवानी है
आजादी अमर रहे अपनी कण कण में.......................
भारत की मिट्टी को छू कर सौगंध किसी ने खाई है ,
आज़ादी कितनी बहनों का सिन्दूर गँवा के आई है.
गाँधी नेहरू और लाल बहादुर का हमको सन्देश है ,
हमने तो सैकड़ो वर्षो की उलझी गाथा सुलझाई है .
प्राणों का मोह नहीं हमको आखिर हम हिन्दुस्तानी है .
आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण .................................
This poem is also linked with a memorable event. I used to write poems from many years.I always got request to write at once.
It' was 2007, some 10th STD children's program had to be held . Principal used to take round every morning. He came to my class and talked to children something , then he said straight you have to write and teach a song for boys of 10th std it will be held after 3 days.I said sir i am not a perfect poet , how would i write anything in a sudden,very short time . He said no you can do it......OK then I started composing lines whole day and night . Next day I started teaching song to children with music teacher.Time was very short .
2 days were left , children should be properly remember with action. They done very well . I had to make some cards that day, after reaching school i started finishing my leftover work closing my door of art room due to morning prayer in classrooms. we had prayer in classes by speakers because of huge strength of children .I was engaged in my work, so i could not heard the sound from out side.children sung same song which was for special program . Quite a while later I heard Principal was saying some thing . when it was all over i took cards and gave to our HM .He said congratulations ,i said thank you sir , and started going to classes i was thinking why he said like this. Well I was moving towards the corridor some teachers were coming they said you should write songs in the films ...... Many of them being greeted and i was thinking what has happened for me today. Then all the children of my class spoke ma'am very good song. They told about song and what Principal said for the song. Then I came to know , why everyone said. If we're ignorant for something unknown which can not express, it gives pleasure. Accept me everyone knew it. later music teacher said Principal said do it in morning assembly before doing it in special program.I didn't know.I kept that news letter of school like as my all certificates in which this song was mentioned. This song is so close to my heart the same way as ............ay mere watan ke logo jara ankh.....
आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण में लिखी कहानी है .
हर कौम हमारी अपनी है कोइ भी हम से गैर नही
हर मानव अपना साथी है कोई भी हम से गैर नहीं .
लाखों इंसानों के मुख से निकालेगी आवाज यही ,
जो हम पर आँख उठाये गा उस दुश्मन की अब खैर नहीं,
इक आँख हमारी तुमपर है एक आँख से बहता पानी है .
आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण ...............................कशमीर हमारे भारत के हाँथो से छूट नहीं सकता ,
संबन्ध हमारे प्राणों का नातों से टूट नहीं सकता .
भारत का बच्चा-बच्चा अब ललकार के तुमको कहता है ,
कोई भी शत्रु अब केसर की घाटी को लूट नहीं सकता .
रग़ रग़ में खून शहीदों का नस नस में भरी जवानी है
आजादी अमर रहे अपनी कण कण में.......................
भारत की मिट्टी को छू कर सौगंध किसी ने खाई है ,
आज़ादी कितनी बहनों का सिन्दूर गँवा के आई है.
गाँधी नेहरू और लाल बहादुर का हमको सन्देश है ,
हमने तो सैकड़ो वर्षो की उलझी गाथा सुलझाई है .
प्राणों का मोह नहीं हमको आखिर हम हिन्दुस्तानी है .
आज़ादी अमर रहे अपनी कण कण .................................
This poem is also linked with a memorable event. I used to write poems from many years.I always got request to write at once.
It' was 2007, some 10th STD children's program had to be held . Principal used to take round every morning. He came to my class and talked to children something , then he said straight you have to write and teach a song for boys of 10th std it will be held after 3 days.I said sir i am not a perfect poet , how would i write anything in a sudden,very short time . He said no you can do it......OK then I started composing lines whole day and night . Next day I started teaching song to children with music teacher.Time was very short .
2 days were left , children should be properly remember with action. They done very well . I had to make some cards that day, after reaching school i started finishing my leftover work closing my door of art room due to morning prayer in classrooms. we had prayer in classes by speakers because of huge strength of children .I was engaged in my work, so i could not heard the sound from out side.children sung same song which was for special program . Quite a while later I heard Principal was saying some thing . when it was all over i took cards and gave to our HM .He said congratulations ,i said thank you sir , and started going to classes i was thinking why he said like this. Well I was moving towards the corridor some teachers were coming they said you should write songs in the films ...... Many of them being greeted and i was thinking what has happened for me today. Then all the children of my class spoke ma'am very good song. They told about song and what Principal said for the song. Then I came to know , why everyone said. If we're ignorant for something unknown which can not express, it gives pleasure. Accept me everyone knew it. later music teacher said Principal said do it in morning assembly before doing it in special program.I didn't know.I kept that news letter of school like as my all certificates in which this song was mentioned. This song is so close to my heart the same way as ............ay mere watan ke logo jara ankh.....
Saturday, September 25, 2010
फ़र फ़र फहरे आसमान में आज तिरंगा प्यारा,
फ़र फ़र फहरे आसमान में आज तिरंगा प्यारा,
चम् चम् चमके पंच शील का नभ में तेज सितारा................................................
झूमती गंगा यमुना और बहती है कावेरी ,
बरफ की चुनरी ओढ़ खड़ी है धरती मैया मेरी .
ये गाँधी का देश यहाँ पर हर मानव बलिदानी ,
हमको आती है अपने पुरखों की बात निबाहनी
सदियों से कहलाता है सहयोग का देश हमारा .
फ़र फ़र फहरे आसमान में ............................
सच है लाल बहादुर सा धरती पर लाल नहीं था
गाँधी नेहरू सा बलिदानी और ना कोई हुआ था
इंदिरा गाँधी को खो कर चहरे पे आइ उदासी .
मिलकर संकट को सह लेंगे हम सब भारत वासी.
अब स्वतंत्र अनन्त वर्षो तक रहेगा देश हमारा
फ़र फ़र फहरे आसमान में ...........................
आस पास के चोर लुटेरों तुमसे कौन डरेगा ,
सत्य अहिंसा से मानव अपना निर्माण करेगा .
बढ़ता चरण प्रगति के पथ पर रोके नहीं रुकेगा
अडिग हिमालय सा प्रहरी ताकत से नहीं झुके गा ,
अपनी धरती पर गैरों का हक हमको नहीं गवारा .
फ़र फ़र फहरे आसमान में ...........................
Remembering a small thing related to this poem.It was Jan 2003 .
A patriotic songs competition was announced for Republic Day in our school.
Then all classes started practicing for the occasion.
I also wrote this song and started to teach children . our schools[iisriyadh.com] building is 3 storied in E shape.
We had a shade in between 2 blocks . . Children were singing.
Principals room was there on 1st floor.we were practicing below the principals room .His PA came down to ask who is teaching and who wrote this song and which class is ?It was nothing but I got a nice felling to hear this. later my class got 1st prize ,after that so many times it was held in various occasions...and in our Indian embassy too.
चम् चम् चमके पंच शील का नभ में तेज सितारा................................................
झूमती गंगा यमुना और बहती है कावेरी ,
बरफ की चुनरी ओढ़ खड़ी है धरती मैया मेरी .
ये गाँधी का देश यहाँ पर हर मानव बलिदानी ,
हमको आती है अपने पुरखों की बात निबाहनी
सदियों से कहलाता है सहयोग का देश हमारा .
फ़र फ़र फहरे आसमान में ............................
सच है लाल बहादुर सा धरती पर लाल नहीं था
गाँधी नेहरू सा बलिदानी और ना कोई हुआ था
इंदिरा गाँधी को खो कर चहरे पे आइ उदासी .
मिलकर संकट को सह लेंगे हम सब भारत वासी.
अब स्वतंत्र अनन्त वर्षो तक रहेगा देश हमारा
फ़र फ़र फहरे आसमान में ...........................
आस पास के चोर लुटेरों तुमसे कौन डरेगा ,
सत्य अहिंसा से मानव अपना निर्माण करेगा .
बढ़ता चरण प्रगति के पथ पर रोके नहीं रुकेगा
अडिग हिमालय सा प्रहरी ताकत से नहीं झुके गा ,
अपनी धरती पर गैरों का हक हमको नहीं गवारा .
फ़र फ़र फहरे आसमान में ...........................
Remembering a small thing related to this poem.It was Jan 2003 .
A patriotic songs competition was announced for Republic Day in our school.
Then all classes started practicing for the occasion.
I also wrote this song and started to teach children . our schools[iisriyadh.com] building is 3 storied in E shape.
We had a shade in between 2 blocks . . Children were singing.
Principals room was there on 1st floor.we were practicing below the principals room .His PA came down to ask who is teaching and who wrote this song and which class is ?It was nothing but I got a nice felling to hear this. later my class got 1st prize ,after that so many times it was held in various occasions...and in our Indian embassy too.
Friday, September 24, 2010
जागा है जागा है जागा हिन्दुस्तान हमारा जागा हिन्दुस्तान ,
जागा है जागा है जागा हिन्दुस्तान हमारा जागा हिन्दुस्तान ,
मिलजुल कर हम करे कामना हो गणतंत्र महान हो गणतंत्र महान .
आयेंगी मुश्किलें हजारो पर हम भी लाचार नहीं ,
दो कोड़ी के हाथो बिकने को हम अब तैयार नहीं ,
ये तूफान एक दिन सारी दुनिया को बदलदेगा,
जागा है जागा है .....................................
जो पत्थर दरिया को रोके रोक ना कोई पाए गा ,
सदियों से बहते पानी को आगे कोई रोक ना पायेगा ,
इस घर की धारा के आगे बुजदिल कभी ना संभलेगा ,
जागा है जागा है ...............................................
मिलजुल कर हम करे कामना हो गणतंत्र महान हो गणतंत्र महान .
आयेंगी मुश्किलें हजारो पर हम भी लाचार नहीं ,
दो कोड़ी के हाथो बिकने को हम अब तैयार नहीं ,
ये तूफान एक दिन सारी दुनिया को बदलदेगा,
जागा है जागा है .....................................
जो पत्थर दरिया को रोके रोक ना कोई पाए गा ,
सदियों से बहते पानी को आगे कोई रोक ना पायेगा ,
इस घर की धारा के आगे बुजदिल कभी ना संभलेगा ,
जागा है जागा है ...............................................
Thursday, September 23, 2010
मेरी धरती मेरा गौरव
मेरी धरती मेरा गौरव मैं धरती की शान हूँ ,
जाग जाग सीमा के प्रहरी में धरती की शान हूँ ।
मै राणा की तेज सजीली चमकीली तलवार हूँ ,
मै लक्ष्मी बाई हूँ शिवा के उस खांडे की धार हूँ ,
दुश्मन के घर आग लगा दे मै विरोध का गान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ....................................
मै छोटा सा फूल मगर रण का भीषण अंगार हूँ ,
वक़्त पड़े तो धरती पर अपना तन मन धन वार दू,
मैहू राष्ट्र के धव्ज की रक्षक मै इस का अभीमान हूँ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी मै ............................. .......
मैने गाँधी नेहरू की वो एक एक बात संजोई है ,
अपने वतन के दीवानों की मिल के मॉल पिरोई है ,
मै भी उस पथ की राहीहूँ मै भी उस कुल की शान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ................................................
मै हाड़ीसम देश दीवानी तन जिसका अंतिम सह्नानी है ,
हम सब की रगों मै खून वही जो अपने देश का पानी है ,
अपने कुल की मर्यादाओ से क्या अब भी अंजान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी .................................................
जाग जाग सीमा के प्रहरी में धरती की शान हूँ ।
मै राणा की तेज सजीली चमकीली तलवार हूँ ,
मै लक्ष्मी बाई हूँ शिवा के उस खांडे की धार हूँ ,
दुश्मन के घर आग लगा दे मै विरोध का गान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ....................................
मै छोटा सा फूल मगर रण का भीषण अंगार हूँ ,
वक़्त पड़े तो धरती पर अपना तन मन धन वार दू,
मैहू राष्ट्र के धव्ज की रक्षक मै इस का अभीमान हूँ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी मै ............................. .......
मैने गाँधी नेहरू की वो एक एक बात संजोई है ,
अपने वतन के दीवानों की मिल के मॉल पिरोई है ,
मै भी उस पथ की राहीहूँ मै भी उस कुल की शान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी ................................................
मै हाड़ीसम देश दीवानी तन जिसका अंतिम सह्नानी है ,
हम सब की रगों मै खून वही जो अपने देश का पानी है ,
अपने कुल की मर्यादाओ से क्या अब भी अंजान हूँ ।
जाग जाग सीमा के प्रहरी .................................................
Wednesday, September 22, 2010
हम बालक प्रेहरी हैं..............
हम बालक प्रेहरी हैं अपनी पुरखों की जागीर के ,
देश भक्ति है इस सीने में देख लो चाहे चीर के ।
हमें झुका सकता है कोई अपने सच्चे प्यार से ,
नहीं झुका सकता है कोई हमको अत्याचार से ।
इससे कहदो उससे कहदो कहदो पाकिस्तान से ,
भारत वाले दुनिया में जियेंगे निज सम्मान से ।
चारो तरफ लगादेंगे पहरे अपनी कश्मीर के............
देश भक्ति है इस सीने में देख लो चाहे चीर के ..........
कौन हिमालय की चोटी पे देखो हाथ लगाएगा ,
किसने माँ का दूध पिया जो सोते शेर जगाये गा ।
भारत भूमि पर होंगे हर सपने मटिया मेट तेरे ,
कश्मीर की धरती पर तड़पेंगे मिसाइल और जेट तेरे ।
प्यार दिया है अपना बदलेमे तेरी शमशीर के .............
देश भक्ति है इस सीने में देख लो चाहे चीर के ..............
कौन कहे गा दुनिया में कश्मीर की घाटी तेरी है ,
जिस धरती के कण कण में नेहरू की राख़ बिखेरी है ।
कितनी बहनों के माथे का सिंदूर गँवा के पाया है ,
लालबहादुर जैसे लाखों लाल गँवाके पाया है ।
हमने ये सब खेल दिखाए तोप तमंचे तीर से ........
देश भक्ति है इस सीने में देख लो चाहे चीर के ..............
Tuesday, September 21, 2010
अपने वतन की बेटी
***************************************************************
मै अपने वतन की बेटी हू,भारत की राज दुलारी हूँ ,
माना की घरमें अबला हूँ पर रण की मै चिंगारी हूँ .
भाई बन कर कोई आये तो उसको मै शीश झुका ती हूँ ,
दुश्मन बन आंख दिखाए तो पल भर मै मोल चुकती हूँ .
दुर्गा बन कर इस धरती पर मैने तलवार उठाई है ,
मीणा बाज़ार के महलों में अकबर की आंख झुकाई है .
में लक्ष्मी हू इस मट्टी की राणा की तेज दुधारी हूँ .
माना के घर में अबला हूँ ................................
मेरी नस नस में गौरव है अभिमान है मेरे सीने में ,
संकट के दिन में घर बैठू धिक्कार है ऐसे जीने में .
सीमा के प्रहरी सावधान अपना मत शीश झुका देना ,
गर वक़्त पड़े तो भारत की मिट्टी का मोल चुका देना .
तुम भाई हो मेरे प्यारे मै बहिन तुम्हारी प्यारी हूँ .
माना की घर में अबला हूँ ...............................
मै अपने वतन की बेटी हू,भारत की राज दुलारी हूँ ,
माना की घरमें अबला हूँ पर रण की मै चिंगारी हूँ .
भाई बन कर कोई आये तो उसको मै शीश झुका ती हूँ ,
दुश्मन बन आंख दिखाए तो पल भर मै मोल चुकती हूँ .
दुर्गा बन कर इस धरती पर मैने तलवार उठाई है ,
मीणा बाज़ार के महलों में अकबर की आंख झुकाई है .
में लक्ष्मी हू इस मट्टी की राणा की तेज दुधारी हूँ .
माना के घर में अबला हूँ ................................
मेरी नस नस में गौरव है अभिमान है मेरे सीने में ,
संकट के दिन में घर बैठू धिक्कार है ऐसे जीने में .
सीमा के प्रहरी सावधान अपना मत शीश झुका देना ,
गर वक़्त पड़े तो भारत की मिट्टी का मोल चुका देना .
तुम भाई हो मेरे प्यारे मै बहिन तुम्हारी प्यारी हूँ .
माना की घर में अबला हूँ ...............................
Monday, September 20, 2010
इतिहास परीक्षा थी ...................उस दिन .
=========================================
इतिहास परीक्षा थी उस दिन चिंता से ह्रदय धड़कता था ,
थे शगुन बुरे घर से चलते वक़्त दाया नयन फड़कता था।
जितने प्रशन मैंने याद किये उनमेसे आधे याद हुए ,
आधे में से बचे हुए स्कूल जाते जाते बर्बाद हुए ।
तुम बीस मिनट हो लेट गेट पर द्वारपाल चिल्लाई ,
मै मेल ट्रेन की तरह दौड़ कर कक्षा के भीतर आई ।
पेपर हाथो मे थाम लिया आंखे मूंदी मन झूम गया ,
पढ़ते ही छाया अन्धकार चक्कर आया सर घूम गया ।
था सौ नम्बर का पेपर मुझको २ की भी आस नहीं ,
चाहे सारी दुनिया उलटे मै हो सकती थी पास नहीं ।
प्रश्नपत्र देने वालो क्या मुह लेकर दे उत्तर हम ,
जोचाहे लिखदूँ मेरी मर्जी ये पेपर है या एटम बम्ब .
फिर आँख मूँद के बैठ गयी बोली भगवन द्याकरो ,
इनसब प्रश्नों के उत्तर मेरे दिमाक मे जल्दी भरदो।
द्रोपदी समझ के अब मेरा भी चीर बढाओ तुम ,
मै विष खा के मर जाऊँगी जो जल्दी ना आये तुम ।
आकाश फटा और अम्बर से आई आवाज तभी ,
मुर्ख व्यर्थ क्यों रोती है जरा आंख उठा के देख यही ।
गीता कहती है कर्म करो फल की चिंता मत किया करो ,
जो कुछ भी याद रहा है वो पेपर मे बस लिख दिया करो ।
मेरे अंतर मनके द्वार खुले पेपर पे यूँ चली कलम चंचल ,
जिस तरह चलता है बंजर धरती पर किसान का हल ।
लिखदिया पानीपत का दूसरा युद्ध हुआ था सावन में ,
जापान जर्मनी युद्ध हुआ था अठारासौ सत्तावन में ।
लिखा दिया महात्मा बुद्ध अपने गाँधी जी के चेले थे ,
बचपन मे वो गाँधी के संग आंख मिचौली खेले थे ।
हुमायूँ का बेटा था अकबर और उसका पोता था बाबर ,
गुप्त वंश मे राज किया था रज़िया बेगम ने भारत पर ।
तैमूर लंग रोज उठते ही दो घंटे नाच नाचता था
औरंगजेब रंग मे आकार औरों की जेब काटता था ।
लिखा दिया मोहम्मद गौरी ने राणा को रण मे हराया था ,
अमरीका से हिंदमहासागर ट्रांसपोर्ट कर के मँगवाया था।
इस तरह अनोखे भावों के फूटे अन्दर से फव्वारे ,
जो जो सवाल पूछे नहीं उनके भी उत्तर दे डाले ।
हो गए परीक्षक पागल से मेरे उत्तरों को देख देख ,
बोले इन सारे बच्चों मे बस होनहार है यही एक ।
बाकी सब पेपर फेंक दिए मेरे सब उत्तर छाँट लिए ,
जीरो नम्बर दे के बाकी सारे नम्बर काट लिए ।
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